विकासनगर(आरएनएस)। सेलाकुई में शुक्रवार को आयोजित कार्यशाला में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, हमारी पारंपरिक खेती को जंगली जानवरों, अनियमित वर्षा और मौसम में परिवर्तन के कारण अत्यधिक नुकसान हो रहा है। किसानों की इन तमाम समस्याओं को देखते हुए वैकल्पिक खेती की अत्यधिक जरूरत है। सगंध पौधा केंद्र (कैप) ने किसानों की इन समस्याओं को देखते हुए इस दिशा में सार्थक पहल करते हुए सगंध खेती को प्रोत्साहित करने की मुहिम शुरू की है, जो सराहनीय है। पर्यटन, सिंचाई, ग्रामीण निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने फ्रेग्रेंस एवं फ्लेवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से सगंध पौधा केंद्र में शुक्रवार को प्रदेश के हिमालयी माइनर सगंध तेलों के विषय पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने कहा कि प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान में सगंध पौधा केंद्र उत्तराखंड में 109 अरोमा कलस्टरों में 28000 किसानों की ओर से 9000 से अधिक हेक्टेयर भूमि पर सगंध फसलों जैसे लेमनग्रास, मिंट, डेमस्क गुलाब, तेजपात, कैमोमिल आदि का कृषिकरण कर रहा है और 192 आसवन संयंत्रों के माध्यम से सुगंधित तेल का उत्पादन कर आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर रहा हैं। कहा कि सगंध पौधा केंद्र द्वारा अपने शोध परिणामों के आधार पर विगत कई वर्षों से नैसर्गिक रूप से उग रही हिमालय, माइनर एसेंसियल ऑयल प्रजातियों के प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों द्वारा प्रसंस्कृत तेल को औद्योगिक फर्मों द्वारा क्रय किया जा रहा है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। कहा कि काश्तकारों को कुण्जा, सुरई, गनिया ग्रास, लैंटाना, भुकम्बर, कालाबांसा, ज्वारनकौसा, वन तुलसी आदि के प्रसंस्करण तकनीक की जानकारी दी जा रही है। इस अवसर पर उन्होंने संगध फसल उत्कृष्टता केंद्र का भ्रमण भी किया। मौके पर डा. नृपेन्द्र चौहान, जयदीप गांधी, शरद महेता, योगेश दूबे,पीयूष गुप्ता, नरेन्द्र डागा, रोहित सेठ, केदार वजे, संजय हरलालका, ब्रहमदेव, वीके सिंह और डा. हेमा लोहनी आदि उपस्थित थे।