उत्तराखण्ड

कुमाऊनी लोक नृत्य एवं संगीत से झूम उठे विरासत में मौजूद लोग

देहरादून – 18 अक्टूबर 2024- उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में चल रहे विरासत महोत्सव 2024 में पहुंचकर भारी संख्या में लोग पूर्ण उत्साह एवं आनंद ले रहे हैं I महोत्सव की शुरुआत सुबह से ही हो जाती है I आज चौथे दिन की शुरुआत दून इंटरनेशनल स्कूल की छात्राओं द्वारा महोत्सव में आयोजित की गई क्राफ्ट वर्कशॉप में प्रतिभाग कर कागज पर कलाकृतियां की गई I छात्राओं ने यह कलाकृति का हुनर राजस्थान के अलवर से आए राम स्वामी से सीखी I विभिन्न कलाओं में माहिर माने जाने वाले अलवर के प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय कलाकार राम स्वामी अब तक संपूर्ण देश के भिन्न-भिन्न प्रदेशों गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि जगहों पर स्कूलों, मेलों व अन्य स्थान पर अपने आकर्षक हुनर का प्रदर्शन करते हुए बच्चों को कलाकृतियां सिखा चुके हैं I राम स्वामी का बच्चों को हुनर देने का अंदाज ही ऐसा है कि बच्चे उनसे प्रशिक्षण लेकर न सिर्फ बेहतर कलाकृति उजागर कर देते हैं, बल्कि बेहद खुश भी होते हैं I रामस्वामी कहते हैं कि वह पूरे निस्वार्थ भाव से देश के कोने-कोने में जाकर स्कूली बच्चों को ही नहीं, बल्कि अशिक्षित बच्चों को भी कलाकृति करने का हुनर, प्रशिक्षण दे चुके हैं I यह सेवा भाव वे करीब 35 वर्षों से निरंतर करते चले आ रहे हैं I उनका कहना है कि पेपर पर कलाकृति उकेरने का शौक जहां कहीं भी उन्होंने देखा, वह वहां अपना प्रदर्शन करने अथवा कला को सिखाने के लिए फौरन पहुंचते रहे हैं I उन्होंने हिंदी व इंग्लिश मीडियम दोनों माध्यमों के बच्चों को कला सिखाने में कभी कोई भेदभाव नहीं किया है I बच्चों को भिन्न-भिन्न कलाएं सिखाने से उनको पूर्ण संतुष्टि अब तक मिलती रही है I स्कूली बच्चों ने बाद में विरासत महोत्सव में लगे कई स्टाल भी देखे I इनमें से कई स्टालों पर लगे आकर्षक सामान को देखकर बच्चे हैरान और बेहद खुश भी हुए I

विरासत महोत्सव की जगमग एवं झमाझम दुनिया में संध्या का समय होते ही भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा लोगों का मन मोह लिया जा रहा है I देश, विदेश की विरासत में समाहित इन्हीं सांस्कृतिक हस्तियों द्वारा की जा रही भिन्न-भिन्न प्रस्तुतियां दर्शकों एवं श्रोताओं के मानो दिल पर अपना रंग खूब जमा रही हैं I

विरासत सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया I इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री श्री टम्टा ने कहा कि देश-विदेश में विरासत लोकप्रिय है I इस विरासत में देश विदेश से अनेक सांस्कृतिक हस्तियां आती है और इस विरासत को आगे बढ़ाती हैं I श्री टम्टा ने कहा कि कलाकारों को ईश्वर स्वयं कलाकार बनाता है और यह कलाकार हम सभी के बीच आकर अपना शानदार प्रदर्शन करते हैं I उन्होंने ओएनजीसी का भी आभार व्यक्त किया कि वह हमेशा विरासत कार्यक्रम को समय-समय पर शक्ति प्रदान करता रहता है I उन्होंने यह भी कहा कि विरासत सभी के सहयोग से आगे बढ़े, यही मेरी कामना है I उत्तराखंड की लोक कला संस्कृति की आज की झलक देखने के लिए विरासत संध्या में दर्शकों एवं श्रोताओं में खासी बेचैनी देखी गई I कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद रुचिरा केदार ने अपनी प्रस्तुति देनी प्रारंभ की तो श्रोतागण मगन मुग्ध हो उठे I सांस्कृतिक संध्या के शुभारंभ अवसर पर उपस्थित रीच संस्था के सचिव आरके सिंह ने केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा का स्वागत किया I श्री टम्टा ने ब्रह्म कमल संस्था के कलाकारों द्वारा दी गई गढ़वाली, कुमाऊनी गीतों की शानदार प्रस्तुतियों के लिए कलाकारों राजीव चौहान, रवींद्र व्यास, मनोज सावंत, सुमेंद्र कोहली, प्रदीप असवाल, गोविंद शरण, करण, नीला शाह, मनदीप नेगी, आशीष गोसाई, अंजू बिष्ट, सोनम, रश्मि बनवाल, मीनाक्षी रावत, पूनम सिंह, सुनीता नेगी, देविका राणा को सम्मानित किया I

 

इसी श्रृंखला में सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति के अंतर्गत आज गोवा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध गोवा के बहुभाषी गायक, संगीतकार, संगीत निर्देशक द्वारा अपनी शानदार प्रस्तुति दी गई I एल्विस गोज़ म्यूज़िक एन्सेम्बल जिसका नेतृत्व श्री क्रेउत्ज़र स्विलन गोज़ ने किया वास्तव में बैंड की रीढ़ हैं, और बैंड के संगीत निर्देशक भी हैं, इस सुर संगम की संध्या में उनके साथ ड्रम पर युवा और प्रतिभाशाली एशले रेबेलो, बास/रिदम गिटार पर श्री बेंजामिन बैपटिस्टा, कीबोर्ड पर मारियो मोराइस,कीबोर्ड/बास गिटार पर क्रेउत्जर स्विलन गोज, गोवा के पर्क्यूशन इंस्ट्रूमेंट घुमॉट/वायलिन पर क्रेस्लर मोजार्ट गोज और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बहुभाषी गोवा गायक एल्विस गोज, बैंड के नेता, गायक जॉयरस और सेमोरा के साथ रहे I अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित गोवा संगीत और नृत्य समूह के कलाकार श्री ग्लोरियो गोज, सुश्री लिनेट गोज, सुश्री मीना डी’कोस्टा, सुश्री देओना परेरा, श्री जेर्सन डोराडो, सुश्री विल्मा लोपेज, सुश्री एस्ट्रिड कोलाको, सुश्री अश्विनी शिरसाट, मिस एरीटा कार्डोजो मैं अपना जलवा सुर, संगम, ताल के साथ बिखेरा। आज चौथे दिन की संध्या में भुर्गियापोनैलो मोग एल्विस गोज़ द्वारा मूल प्रेम गीत की हृदय को छू लेने वाली प्रस्तुति दी गई I नर्तक में श्री जेरसन डोराडो और सुश्री देवना परेरा का जलवा रहा I इसके अलावा लोक कला संस्कृतियों के कद्र दान एवं प्रेमियों ने गोवा की सांस्कृतिक झलक पर अपनी अमित छाप छोड़ दी I एल्विस गोज़ द्वारा गोवा की लोक धुनों को शामिल करते हुए ‘केपेमचिम किरनम’ और ‘श्री गुरु कला मंडल’ के साथ एल्विस गोज़ संगीत समूह द्वारा फ्यूजन संगीत को भी बखूबी सराहा गया I नृत्य की दुनिया में आनंद का लुत्फ़ लेने वाले भी आज अपना दिल थाम कर बैठे हुए थे I नृत्य की इस शानदार श्रृंखला के अंतर्गत महेश गौडे के नेतृत्व में श्री गुरु कला मंडल द्वारा समय नृत्य, केपेमचिम किरनम द्वारा देखनी नाच सभी श्रोताओं एवं दर्शकों की पसंद बना I नर्तक में श्री ग्लोरियो गोज़ तार्या मामा (नाव वाला) सुश्री एस्ट्रिड कोलाका,सुश्री देवना परेरा,सुश्री ग्रेसी विल्मा रोड्रिग्स,सुश्री एरेटा कार्डोज़ो,
सुश्री अश्विनी शिरसाट की आकर्षक प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लियाI प्रसिद्ध गायक एल्विस गोज़,सुश्री लिनेट गोज़,सुश्री मीना डी’कोस्टा, श्री क्रेस्लर गोज़ की प्रस्तुति ने तो वाहवाही के साथ तालियां भी जमकर बटोरी I
संगीतकार की दुनिया का जादू की खूब है इस जादू को देखने व सुनने के लिए दर्शन एवं श्रोता काफी बेताब दिखाई दिए और संगीत संध्या क्रेउत्ज़र स्विलन गोज़ द्वारा शुरू होते ही सभी झूम उठे इस प्रस्तुति के दौरान मारियो केविन मोराइस- कीबोर्ड, क्रेस्लर मोजार्ट गोज़- घुमोट,एशले रेबेलो-ड्रम बेंजामिन, बैप्टिस्टा- बास गिटार पर रहे I

संस्कृति संध्या की अगली स्थिति उत्तराखंड के लोकप्रिय कुमाऊनी कलाकारों द्वारा दिया गया।
ब्रह्मकमल संस्कृति कला संगम 20 कलाकारों का एक समूह है, जिसका नेतृत्व राजीव चौहान ने किया। प्रदीप असवाल ढोलक, जबकि सुरेन्द्र कोहली कीबोर्ड पर और गोविंद शरण ऑक्टोपैड पर संगत दी। प्रदर्शन के लिए मुख्य पुरुष गायक रविन्द्र व्यास और मनोज सावंत रहे, जबकि मुख्य महिला गायक अंजू बिष्ट और सोनम सुरवंदिता रही।

समूह लोक संगीत और कुमाऊंनी लोक नृत्य का एक जीवंत प्रदर्शन प्रस्तुत किया। वे अपने प्रदर्शन की शुरुआत जीवंत कुमाऊंनी छपेली से की और पारंपरिक कुमाऊंनी मैथली गीतों के साथ समापन किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति में रुचिरा केदार ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया। रुचिरा केदार ने राग मारू बिहाग में विलाम्बित ख्याल के साथ “रसिया ओ ना जाओ” प्रस्तुत करते हुए प्रदर्शन की शुरुआत की। फिर “पारे मोरी नाव महदारा” और इसके बाद एक और द्रुत ख्याल, “तड़तप रैन दिन” गाया। उसके बाद में राग मिश्र पीहू में दादरा गया, जिसका शीर्षक था “लागी बयारिया।” गायन का समापन एक सुंदर कजरी, “सावन झर लागी धीरे-धीरे” के साथ हुआ।

इस गायन में रुचिरा केदार के साथ हारमोनियम पर परोमिता मुखर्जी, तबले पर मिथिलेश झा और तानपुरा पर सृष्टि और ऋषिका ने संगत दी।

रुचिरा केदार को आखिर कौन नहीं जानता! सुर और गीत तथा संगीत की बात की जाए, तो इन सभी से इनका नाता रिश्ता अटूट रहा है I ऐसे में इस महान व मशहूर शख्सियत को भला कोई कैसे भुला सकता है I आज फिर से विरासत महोत्सव की संध्या में उन्हीं का शानदार अंदाज बेहतरीन प्रस्तुति के साथ रहा I रुचिरा केदार एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका हैं। उन्होंने अपने पिता श्री दिलीप काले से प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त किया, फिर जयपुर घराने के प्रसिद्ध गायक डॉ.अलका देव मारुलकर से हिंदुस्तानी शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय गायन की बारीकियाँ सीखीं। इसके बाद रुचिरा को प्रतिष्ठित आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी कोलकाता से आवासीय छात्रवृत्ति मिली और ग्वालियर के जयपुर घराने के प्रसिद्ध गायक पद्मश्री पंडित उल्हास कशालकर से अमूल्य तालीम प्राप्त की I उन्हें बनारस घराने की प्रमुख पद्म विभूषण विदुषी गिरिजा देवी से ठुमरी और अन्य अर्ध-शास्त्रीय रूपों में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन मिला। उन्होंने संगीत और अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री हासिल की है और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से जूनियर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त की है I फेलोशिप के तत्वावधान में पीएचडी की डिग्री हासिल करने में भी उन्होंने महारथ हासिल की। उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार,गण सरस्वती विदुषी किशोरी अमोनकर की स्मृति में “सरस्वती साधना सम्मान”, ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन द्वारा ‘ए’ ग्रेड, सुर सिंगार संसद, मुंबई द्वारा “सुर मणि” से सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय संगीत के प्रतिनिधित्व के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के साथ एक स्थापित श्रेणी के कलाकार का भी सम्मान उन्हें मिला है। भारत सरकार के युवा कलाकारों के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया। उन्होंने खुद को ग्वालियर-जयपुर घराने के सबसे होनहार मशाल वाहकों में से एक के रूप में स्थापित किया है। ख्याल, ठुमरी, दादरा, होरी, कजरी आदि जैसे हिंदुस्तानी संगीत के विविध रूपों की उनकी असाधारण कुशल और भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने उन्हें भारत और विदेशों में पारखी और संगीत प्रेमियों की हार्दिक प्रशंसा अर्जित की है।

ओडिसी एवं छऊ नृत्यांगना के नृत्य से झूम उठा पूरा ‘विरासत पंडाल’

इटली के राष्ट्रपति से ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इटेलियन सॉलिडरिटी से सम्मानित हो चुकी हैं पदमश्री डॉ इलियाना सिटारिस्टी

प्रसिद्ध नृत्यांगना इलियाना के आकर्षक नृत्य को देखकर विरासत में बैठे श्रोतागण एवं दर्शक काफी देर तक झूमते रह गए I जन्म से इतालवी पद्मश्री डॉ. इलियाना सिटारिस्टी ने मनोविश्लेषण और पूर्वी पौराणिक कथाओं पर थीसिस के साथ दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। यूरोप में पारंपरिक और प्रयोगात्मक थिएटर में वर्षों के अनुभव के बाद वह भारतीय नृत्य में आई हैं। इलियाना भारत के उड़ीसा में रह रही हैं, जहाँ वह लोगों, उनकी भाषा और संस्कृति के साथ घनिष्ठ संपर्क में हैं। ओडिसी नृत्य शैली में उनके गुरु प्रसिद्ध गुरु, पद्म विभूषण केलुचरण महापात्रा हैं। वह मयूरभंजी के छऊ नृत्य की विभिन्न मार्शल मुद्राओं में भी समान रूप से पारंगत हैं, जिसे उन्होंने गुरु श्री हरि नायक के मार्गदर्शन में सीखा है,उड़ीसा के भुवनेश्वर के संगीत महाविद्यालय से आचार्य की उपाधि प्राप्त की है। भारत के सभी प्रमुख केंद्रों में दिए गए अनेक प्रदर्शनों और व्याख्यान-प्रदर्शनों के अलावा, उनके योगदान में भारतीय और विदेशी पत्रिकाओं में प्रकाशित उड़िया संस्कृति पर लेख, ओडिसी और छऊ नृत्यों पर फिल्म वृत्तचित्रों के लिए शोध कार्य और नर्तकों और रंग मंच कर्मियों के लिए व्यावहारिक नृत्य कार्यशालाएँ शामिल हैं, जिन्हें वे भारत और विदेशों में विभिन्न संस्थाओं के निमंत्रण पर नियमित रूप सेआयोजित करती हैं। उन्होंने भारत के सभी प्रमुख नृत्य समारोहों के साथ-साथ कई सांस्कृतिक रूप से समृद्ध विदेशी देशों में भी प्रदर्शन किए हैं। इलियाना दूरदर्शन की ‘टॉप-ग्रेड’ कलाकार हैं और आईसीसीआर में ‘उत्कृष्ट कलाकार’ के रूप में सूचीबद्ध हैं। उन्हें इटली में नृत्य कला के लिए प्रतिष्ठित उपाधि लियोनाइड मैसिन, सुर सिंगार संसद द्वारा रसेश्वर पुरस्कार, अपर्णा सेन द्वारा निर्देशित बंगाली फिल्म युगांत में उनके नृत्य निर्देशन के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का राष्ट्रीय पुरस्कार, इटली के राष्ट्रपति से ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इटैलियन सॉलिडेरिटी और इटली में एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित पुरस्कार द गोल्डन नटक्रैकर से सम्मानित किया गया है। अकादमिक साइट पर उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के तत्वावधान में उड़ीसा की मार्शल आर्ट पर एक शोध किया है।केलुचरण महापात्र के जीवन पर एक किताब लिखने के लिए उन्हें भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा एक वरिष्ठ फैलोशिप प्रदान की गई है। उन्होंने ओडिशा में पारंपरिक मार्शल प्रथाएँ मेरी यात्रा, दो जन्मों की कहानी, ओडिसी नृत्य में योगदान भी लिखी हैं। आर्ट विजन के माध्यम से इलियाना ने कई महोत्सवों का आयोजन किया है, जो अवधारणा में अद्वितीय हैं जैसे प्रदर्शन और दृश्य कलाओं पर फिल्मों का महोत्सव, कलिंग महोत्सव, मार्शल डांस का महोत्सव शामिल है I

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