हरिद्वार(आरएनएस)। कार्यक्रम के दौरान समाज की ओर से सबसे पहले मां उमिया सहित अन्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद समाज के हर उम्र वर्ग के लोगों ने पारंपरिक गुजराती परिधानों से सुसज्जित होकर रास गरबा किया। इस मौके पर लोगों ने महालक्ष्मी को भोग लगाकर खीर खुले आसमान पर किरणों से संग्रह के लिए रखी और उसका सेवन किया। समाज के लोगों ने एक दूसरे को पूर्णिमा की बधाई दी। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि शरद पूर्णिमा के रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत निकलता है तभी तो इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का विधान है। इसे प्रसाद के रूप में लेते हैं और इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।