उत्तराखण्ड

विभाग जुर्म काटता  और माफिया जुर्म करता है वन विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे फिर कट गये सैकड़ों पेड़

देहरादून। राज्‍य की राजधानी में माफियाओं द्वारा हरे पेड़ों पर आरी चलाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सबसे अधिक मामले देहरादून वन प्रभाग की झाजरा रेंज में सामने आए हैं। यहां पिछले कुछ महीनों में सैकड़ों साल के पेड़ों की बलि माफियाओं ने चढ़ा दी है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि यहां वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आ रही है। अधिकारी इस ओर से आंखें मूंदे बैठे हैं।
बताते चलें कि देहरादून वन प्रभाग की झाजरा रेंज इन दिनों हरे पेड़ों की कब्रगाह बन गयी है। यहां एक के बाद एक लगातार कई मामले सामने आ रहे हैं। यहां पिछले दिनों माफियाओं द्वारा एक प्‍लाट पर साल के सौ से अधिक पेड़ों को काटकर दबाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि यह रेंज एक बार फिर से सुर्खियों में आ गयी है। अब यहां ताजा मामला रेज के डूंगा इलाके का है। यहां माफियाओं ने एक जमीन की प्‍लाटिंग के लिए सौ से अधिक पेडों को काट डाला। बताया जा रहा है कि इन माफियाओं ने यहां दिन दहाडे इस कार्य को अंजाम दिया और वन विभाग के अधिकारी देखते रहे । सूत्रों की माने तो यहां जब पेड़ काटे जा रहे थे तो इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी गयी थी लेकिन कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहूंचा।
सूत्रों की माने तो वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए यह पेड़ों का कटान कामधेनू साबित होता है। इसके पीछे एक बडा़ खेल चलता है। बताया जा रहा है कि जब भी कही पेड़ काटे जाते हैं तो विभागीय अधिकारी मौके पर पहुंच कर बड़ी बड़ी बातें करते हैं कि रिपोर्ट दर्ज करायेंगे, जेल भिजवायेंगे लेकिन होता कुछ भी नहीं है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस तरह पेड़ काटने के लिए पहले ही वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर माफिया पूरी रूप रेखा बना देते हैं, इसी रूप रेखा के अनुसार फिर पेडों का कटान होता है, फिर कुछ दिनों बाद यहां  वन विभाग के वही अधिकारी आते हैं जिनके साथ पूरे कार्य की रूप रेखा बनी होती है, और ये अधिकारी इस जमीन के मालिक की खोज कर उसके खिलाफ जुर्म काट देते हैं  या फिर कुछ रकम दण्‍ड के रूप में ले लेते हैं। इसके बाद किसी को भी पता नहीं होता है कि आगे क्‍या हुआ, माफिया अपना काम करते रहते हैं और आम आदमी को यह गलत फहमी रहती है कि विभाग ने तो जुर्म काट ही दिया है अब तो दोषियों को सजा मिलेगी ही लेकिन ऐसा कुछ होता ही नहीं है। बल्कि इन माफियाओं के हौसले और अधिक बुलंद हो  जाते हैं और ये फिर से एक और मंजिल की ओर बढ़ जाते हैं।

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