मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि पर्वतीय क्षेत्रों में ट्राउट फिश के उत्पादन को तेजी से बढ़ावा दिया जाए। इनकी बिक्री के लिए भी उचित प्रबंध किये जाएं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का मत्स्य पालकों को अधिक से अधिक लाभ मिले। राज्य में मत्स्य पालन को और तेजी से बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा लक्ष्य तय किये जाएं, लक्ष्यों को फोकस करते हुए समयबद्धता के साथ आगे कार्य किये जाएं। राज्य में मछली की खपत के अनुरूप उत्पादन हो इस दिशा में भी तेजी से प्रयास किये जाएं। मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से भी अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि तालाबों के निर्माण से उनमें मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है, वहीं जल संरक्षण की दिशा में भी यह सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि कलस्टर बनाकर तालाबों का निर्माण किया जाए और उनके माध्यम से मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाए।
गन्ना मिलों के आधुनिकीकरण, दक्षता और क्षमता में वृद्धि की दिशा में किये जाए कार्य-मुख्यमंत्री
गन्ना विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि गन्ना मिलों को घाटे से उबारा जाए। गन्ना मिलों के आधुनिकीकरण, दक्षता और क्षमता में वृद्धि की दिशा में कार्य किये जाएं। राज्य में गन्ना बीज बदलाव, जीपीएस के माध्यम से गन्ना सर्वेक्षण का कार्य तथा प्रदेश में जैविक गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान समय पर हो।
कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पशु स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण के लिए वृहद् स्तर पर पशुओं का टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। मोबाईल वैटिनरी यूनिट के माध्यम से पशुपालकों के द्वार पर पशुचिकित्सा संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन के तहत इस वर्ष डेरी विकास के अन्तर्गत 3385 दुधारू पशुओं के क्रय के लिए 611 परिवारों को दुग्ध व्यवसाय से जोड़ने तथा 4943 पशुपालकों को बकरी व कुक्कुट पालन का लक्ष्य रखा है। पर्वतीय क्षेत्रों में साइलेज, चारा फीड ब्लाक की सुगमता से उपलब्ध होने के कारण महिलाओं के बोझ को कम किया गया है। पशुपालन से संबधित कार्यों में महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 03 वर्षों में दुग्ध उपार्जन, संतुलित पशु आहार एवं साईलेज विक्रय में वृद्धि हुई है। गोट वैली से राज्य में डेढ़ साल में 3027 पशुपालकों को लाभ मिला है, जिसमें 37 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। राज्य में कुक्कुट की 2622 ईकाई स्थापित हैं इस वर्ष 01 हजार और ईकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, सचिव डॉ. बी.वी.आर. सी. पुरूषोत्तम, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव विजय जोगदंडे, नियोजन विभाग से मनोज पंत और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।