जीरो टेरर प्लान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अपने निर्णायक चरण में है। आतंकवाद बड़ी संगठित आतंकी हिंसाओं से सिमट कर महज छद्म लड़ाई रह गया है।
केंद्रशासित प्रदेश में हाल ही में हुए आतंकी हमलों के मद्देनजर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें शाह ने आंतकी गतिविधियों पर पूरी तरह नकेल कसने यानी जीरो टेरर प्लान लागू करने का निर्देश दिया। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को मिशन मोड पर काम करने और समन्वित तरीके से त्वरित प्रतिक्रिया सुनिशिचत करने का भी निर्देश दिया। मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने में कोई कसर न छोडऩे की बात भी दोहराई।
आने वाले महीनों में प्रदेश में चुनाव भी होने हैं, और चौबंद सुरक्षा से चुनाव सहजता से कराने में मदद मिलेगी। शाह ने जून के अन्त में शुरू होने वाली पवित्र अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की भी समीक्षा की। हालांकि बीते हफ्ते ही आतंकियों ने राज्य के रियासी, कठुआ और डोडा जिलों में चार स्थानों पर हमले किए जिनमें नौ तीर्थयात्रियों मौत और एक जवान शहीद हो गया। घटना में सात सुरक्षाकर्मियों समेत कई अन्य घायल हुए हैं।
हालांकि इस दरम्यान मुठभेड़ में सेना ने दो आतंकी मारे गिराए जिनकी पहचान पाकिस्तानी नागरिक के तौर पर हुई। उनके पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार बरामद हुए। सरकार के कड़े रुख और स्पष्ट निर्देशों के चलते सैन्य बलों का उत्साह लगातार बढ़ रहा है। खासकर मोदी सरकार के शांति बहाली के प्रयासों से स्थानीय रहवासी भी सुकून की सांस ले पा रहे हैं। सीमा पार से आतंक रोकने और घुसपैठियों का खात्मा करने की कोशिशों का ही नतीजा है कि कश्मीर में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
सरकार द्वारा बहुस्तरीय सुरक्षा कवर लगाने का आह्वान तथा तीर्थस्थलों और सभी पर्यटन स्थलों के प्रति सुरक्षा बढ़ाने की कवायद में तेजी लाने का असर जल्द देखने को मिल सकता है। मानव खुफिया जानकारी जुटाने और घुसपैठ के ठिकानों को बंद करने के अलावा क्षेत्र में सक्रिय आतंकियों का सफाया करने निर्णय केंद्र के सकारात्मक प्रयासों का नमूना है। प्रतीत हो रहा है कि तीसरी बार सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने पूरी तैयारी के साथ आतंकवाद से जूझने के लिए कमर कस ली है।