उत्तराखण्ड

डीएम गहरवार ने  यात्रा मार्ग का पैदल निरीक्षण कर व्यवस्थाओं एवं तैयारी का जायजा लिया

रुद्रप्रयाग(आरएनएस)। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने केदारनाथ धाम से गौरीकुंड तक यात्रा मार्ग का पैदल निरीक्षण कर व्यवस्थाओं एवं तैयारी का जायजा लिया।  यात्रा मार्ग पर सेंचुरी एरिया एवं वन क्षेत्र में घोड़े- खच्चरों की लीद से घास के मैदान एवं वन संपदा को हो रही क्षति पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने पूरे यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों के रात्रि विश्राम को प्रतिबंधित कर दिया है।  इसके साथ ही संवेदनशील एवं डेंजर जोन में किसी भी हाल में दुकान एवं फड़ न लगने देने के निर्देश भी संबंधित विभागों को दिए।  वहीं पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि इस 8 हजार घोड़ा खच्चरों के रजिस्ट्रेशन किए गए हैं।  रोजाना 4 हजार घोड़ा-खच्चरों को ही केदारनाथ पैदल मार्ग पर संचालन की अनुमति दी गई है।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पिछली बार केदारनाथ पैदल मार्ग पर जिस तरह से घोड़े खच्चरों के साथ क्रूरता और संचालन में अनियमितताओं को लेकर के लगातार शिकायत मिलती आई थी।  लेकिन अब हालात को पहले से बेहतर कर लिया गया है।  उन्होंने बताया कि केदारनाथ में 8 हजार घोड़ा खच्चरों के रजिस्ट्रेशन किए गए हैं।  वहीं रोजाना 4 हजार घोड़ा खच्चरों को ही केदारनाथ पैदल मार्ग पर संचालन की अनुमति दी गई है।
इसके अनुसार एक दिन में एक घोड़ा केवल एक ही चक्कर लगाएगा और उससे ज्यादा की अनुमति नहीं दी गई है।  वहीं इसके अलावा कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि केदारनाथ यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े खतरों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर के वहां पर डॉक्टर तैनात कर दिए गए हैं।  वहीं इस साल दो अतिरिक्त अस्तबल भी केदारनाथ मार्ग और त्रियुगी नारायण में बनाए गए हैं।  उन्होंने बताया कि केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी केदारनाथ के पैदल मार्ग पर घोड़ा खच्चर संचालन के लिए लोग जम्मू कश्मीर, हिमाचल, नेपाल से यहां पर आते हैं।
वहीं विभाग द्वारा एक महीने पहले से ही घोड़ा खच्चरों के पंजीकरण का काम शुरू कर दिया गया है। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने केदारनाथ धाम आने वाले तमाम श्रद्धालुओं और घोड़ा संचालकों से जानवरों से क्रूरता ना करने की अपील की है।  साथ ही कोई घोड़ा-खच्चर संचालक नियमों की अनदेखी करता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण एवं विकास कार्यों का निरीक्षण करते हुए संबंधित एजेंसियों से प्रगति रिपोर्ट जानी।  इस दौरान उन्होंने मंदिर परिसर से लेकर गोल चबूतरे, मंदाकिनी एवं सरस्वती घाट पर चल रहे निर्माण कार्यों के अलावा अन्य निर्माण कार्य का जायजा लेते हुए आगामी यात्रा से पहले सभी प्राथमिक सुविधाएं दुरुस्त करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए।  इसके साथ ही आस्था पथ, वाटर एटीएम सहित अन्य कार्य भी यात्रा शुरू होने से पहले पूर्ण करने के निर्देश दिए।  इसके बाद गौरीकुंड तक यात्रा मार्ग का पैदल निरीक्षण कर बिजली-पानी, स्ट्रीट लाइट, रेन शेड, रेलिंग एवं मार्ग से जुड़े सभी कार्य यात्रा शुरू होने से पहले पूर्ण करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए।
जिलाधिकारी ने यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की लीद से घास के मैदान एवं वन संपदा को हो रही क्षति की भरपाई एवं सेंचुरी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ धाम स्थित घोड़ा पड़ाव तक घोड़े-खच्चरों के रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं।  इसके साथ ही टेंट या दुकानों की आड़ में भी घोड़े-खच्चरों को यात्रा मार्ग पर रुकने की अनुमति नहीं होगी।  बताया कि माननीय न्यायालय ने सेंचुरी क्षेत्रों में घास के मैदानों का दोहन किसी भी हाल में न होने देने के आदेश दिए हैं।  ऐसे में केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर एवं उनके मालिकों द्वारा अवैध रूप से नियमों का उल्लंघन कर वन संपदा के दोहन को रोकने के लिए यह निर्णय लिया जा रहा है।
इस वर्ष से घोड़े- खच्चर केवल घोड़ा पड़ावों पर ही विश्राम कर सकेंगे।  इन नियमों का उल्लंघन करने वाले घोड़े-खच्चर मालिकों एवं व्यवसायियों पर भारी जुर्माना एवं लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई का प्रावधान रखा जाएगा।  जिलाधिकारी ने घोड़े-खच्चरों एवं उनके मालिकों की सुविधा के लिए छोटी लिंचोली के समीप घोड़ा पड़ाव बनाने का प्रस्ताव भी तैयार करने के निर्देश लोनिवि को दिए हैं।  ताकि अवैध जगहों के स्थान पर प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे सुविधाजनक स्थानों पर घोड़े-खच्चर रह सकें।  जिलाधिकारी ने आपदा प्रबंधन अधिकारी नन्दन सिंह रजवाड़ एवं राजस्व विभाग को संयुक्त रूप से पूरे यात्रा मार्ग का निरीक्षण कर रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों को चिन्हित करते हुए दुकान एवं टेंट के लिए प्रस्तावित करने के निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही संवेदनशील एवं डेंजर जोन चिन्हित करने के निर्देश देते हुए सभी स्थानों पर साइनेज लगाने एवं ऐसे स्थानों पर किसी भी हाल में दुकान एवं फड़ न लगने देने के निर्देश भी संबंधित विभागों को दिए।  पैदल निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने स्वयं एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारियों के साथ मिलकर प्लास्टिक की बोतल सहित अन्य प्लास्टिक कचरे भी एकत्रित करना शुरू किया।
दुकानों के आवंटन नीलामी का विरोध: केदारनाथ यात्रा मार्ग पर बेस कैंप की दुकानों का आवंटन नीलामी से किये जाने का घोड़ा-पड़ाव, रुद्रा प्वाइंट, बेस कैंप संघर्ष समिति ने विरोध किया है।  इसके साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले में जिला प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।  वहीं केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत ने भी संघर्ष समिति की मांगों को जायज ठहराया है।

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