नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कानूनी भाषा को आसान बनाने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि ‘कानून लिखने और न्यायिक प्रक्रिया में जिस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, वह न्याय सुनिश्चित करने में एक बड़ी व महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जितना संभव हो सके, आम लोगों को समझ में आने वाली आसान और भारतीय भाषाओं में कानून बनाने की दिशा में ईमानदारी से प्रयास कर रही है।
विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय ‘अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘भारत सरकार में हम लोग सोच रहे हैं कि कानून दो तरीकों से पेश किया जाना चाहिए। एक मसौदा उस भाषा में होगा जिसका आप ( न्यायपालिका) इस्तेमाल करते हैं और दूसरा मसौदा उस भाषा में होगा जिसे देश का आम आदमी समझ सके। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी भाषा में कानून समझ आना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमेशा से कानून को जटिल भाषा में बनाने का चलन रहा है और न्याय प्रणाली में जिस पहलू पर सबसे कम चर्चा की गई है वह भाषा और कानून को आसान बनाए जाना का। सम्मेलन में मौजूद देश विदेश के विधि समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार कानूनों को आसान तथा आम लोगों के समझ में आने लायक बनाने का प्रयास कर रही है। लेकिन व्यवस्था उसी ढांचे में बनी है तथा वह उसे इस ढांचे से बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए काफी कुछ करना है और काफी वक्त है ‘इसलिए मैं यह करता रहूंगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलत उद्देश्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल के अलावा साइबर आतंकवाद और धन शोधन जैसे अपराध पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि साइबर और धनशोधन जैसे अपराध किसी सीमाओं और अधिकार क्षेत्र को नहीं पहचानते हैं, इसलिए इनसे निपटने के लिए विभिन्न देशों के बीच कानूनी रूपरेखा और सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘जब खतरा वैश्विक है तो उससे निपटने का तरीका भी वैश्विक होना चाहिए। हवाई यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों की हवाई यातायात नियंत्रण प्रणालियों के बीच सहयोग का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन खतरों (साइबर अपराध, धन शोधन) से निपटने के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करना किसी एक सरकार या देश का काम नहीं है। भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, ब्रिटेन के न्याय संबंधी अधिकारी एलेक्स चॉक केसी, भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, बीसीआई के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और उच्चतम न्यायालय के कई न्यायाधीश सहित अन्य अधिकारी शामिल थे।
कानूनी पेशा ने आजाद भारत की नींव को मजबूत किया- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विधि समुदाय के लोगों की सराहना करते हुए कहा कि न्यायपालिका और वकील भारत की न्याय प्रणाली के लंबे समय से संरक्षक रहे हैं। उन्होंने महात्मा गांधी, डॉ, बीआर आंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल ( सभी वकील थे) जैसे नामों का जिक्र करते हुए कहा कि कानूनी पेशा से जुड़े लोग भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाते हैं।
एतिहासिक क्षणों का गवाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह बना है। उन्होंने कहा कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने का जिक्र करते हुए कहा कि ‘यह महिलाओं की अगुवाई में विकास को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने जी20 शिखर सम्मेलन और सफल चंद्रयान मिशन की भी जिक्र किया।
2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 2047 तक विकसित देश बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और इसके लिए मजबूत और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत पर दुनिया के बढ़ते विश्वास में निष्पक्ष न्याय की एक बड़ी भूमिका है।