उत्तराखण्ड

पछुवादून से लेकर जौनसार बावर तक के शिवालयों में उमड़े श्रद्धालु

 

विकासनगर। श्रावण मास के सोमवार को मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। पछुवादून से लेकर जौनसार बावर के शिवालयों में भक्तों की लंबी कतार लगी रही। श्रद्धालुओं ने बेल पत्र, धतूरा, दूध, गंगा जल, भांग, मिष्ठान्न, नैवेद्य, फल और सुगंधित पुष्पों का भोग लगाकर देवाधिदेव महादेव की पूजा अर्चना की।

श्रद्धालुओं ने हरिद्वार से लाए गंगाजल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया। पौराणिक शिव मंदिर लाखामंडल में अन्य प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया। स्थानीय लोक मान्यता के अनुसान लाखामंडल में ही पांडवों के लिए लाक्षागृह निर्मित किया गया था। चकराता के चिंताहरण मंदिर में भी बड़ी दूर से श्रद्धालु जलाभिषेक को पहुंचे।

बाड़वाला स्थित प्राचीन शिव मंदिर में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। यहां सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरु हो गया था। सुबह आठ बजे तक करीब एक किमी लंबी कतार लग चुकी थी। श्रद्धालुओं ने रुद्राभिषेक और जलाभिषेक के साथ ही शिव मानस पाठ भी किया।

हर हर महादेव के जयकारों से गूंजा बूढ़ा केदारेश्वर मंदिर

विकासनगर के सबसे पुराने शिवालय बूढ़ा केदारेश्वर मंदिर में जलाभिषेक के लिए महिलाओं, युवतियों, बच्चों, बूढ़ों नौजवानों की भीड़ लगी रही। इस दौरान शिव भक्तों ने भजन कीर्तन करते हुए शिव की अराधना की। बीच बीच मे भक्तों द्वारा बोलबम व हर हर महादेव के जयकारे से मंदिर प्रांगण गुंजायमान हो रहा था। यह क्रम सुबह से लेकर शाम तक चलता रहा। इसके साथ ही हनुमद धाम, प्राचीन शिव मंदिर कैनाल रोड, हनुमान मंदिर गुडरिच, शिव मंदिर हरबर्टपुर समेत अन्य गांवों में स्थित शिवमंदिरों में पूजा पाठ के लिए शिवभक्तों की भीड़ देखी गई।

शिव ऐसे देवों के देव हैं जो साधारण पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सोमवार को पूजन, व्रत के करने से दुख, गरीबी, शोक, क्लेश, चिंता दूर होती है। शत्रु कमजोर होता है। परिवार सुखी होता है। रुके कार्य बन जाते हैं। विवाह आदि में आने वाली बाधा दूर होती है। कृपा पाने के लिए पूरा सावन खास होता है। इस महीने में शिव धरती पर वास करते हैं।

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