प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया है कि ‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’ भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन कुछ लोगों द्वारा अपनाई जा रही तुष्टिकरण की नीति देश के लिए ‘विनाशकारी’ है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भडक़ाया जा रहा है।
उन्होंने पूछा कि घर-परिवार में एक सदस्य के लिए एक कानून, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा? फिर ऐसी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? उन्होंने स्मरण कराया कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।
यदि इस बात को ध्यान में रखकर काम किया गया होता तो आज वे लोग, जिन्हें निहित स्वार्थी लोग भडक़ा रहे हैं, शिक्षा और नौकरियों के मामले में पिछड़े न होते। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से दो टूक अपना मत व्यक्त किया है, उससे साफ हो गया है कि आम चुनाव 2024 में सत्ताधारी भाजपा गठबंधन इसी मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरेगा। वैसे भी यह भाजपा का परंपरागत मुद्दा रहा है। दरअसल, भाजपा के तीन चुनावी मुद्दे रहे हैं जिन्हें मूर्ताकार करने का संकल्प वह अपने घोषणा पत्र में करती रही है।
दो चुनावी मुद्दों-जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुचछेद 370 का खात्मा और अयोध्या में राममंदिर का निर्माण करना-को वह पूरा कर चुकी है। बाकी रहा यूसीसी को लागू करना। इसे लेकर प्रधानमंत्री ने अब स्पष्ट कह दिया है। इससे लगता है कि आगामी चुनाव भाजपा वह इसी मुद्दे पर लड़ेगी। हालांकि विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन कर राजनीति करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस, जदयू, द्रमुक और एआईएमआईएम का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं।
कांग्रेस ने पूछा है कि यूसीसी लागू करना ही था तो नौ साल से उनकी सरकार है, पहले ही कर सकते थे। लेकिन जैसे ही चुनाव आता है, उन्हें ये सब चीजें याद आने लगती हैं। बहरहाल, इतना तय है कि भाजपा इसी मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी। मुस्लिमों के एक बड़े हिस्से पसमांदा, जो मुस्लिम वर्ग का 80 फीसद हैं, की कमजोर आर्थिक और शैक्षणिक दशा का जिक्र करके पीएम मोदी ने यह भी साफ कर दिया है कि चुनाव में भाजपा इसी वर्ग की बेहतरी के नाम पर ताल ठोकेगी।
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