देहरादून। रसोई गैस सिलेंडर की डोर-टू-डोर डिलीवरी में उपभोक्ताओं को चूना लगाया जा रहा है। दरअसल, डिलीवरी देने आ रहे एजेंसी के कर्मचारी बिना तौले सिलेंडर दे रहे हैं। कई बार डिलीवरी के समय उनके पास तौल कांटा नहीं होता। जबकि, नियमानुसार एजेंसी को तौलकर ही उपभोक्ताओं को सिलेंडर देना होता है।
रसोई गैस सिलेंडर की ऑनलाइन सर्विस शुरू होने के बाद अधिकतर लोग सहूलियत के लिए डोर-डू-डोर सर्विस से ही सिलेंडर मंगवाते हैं। बुकिंग के एक-दो दिन में एजेंसी की ओर से सिलेंडर डिलीवर कर दिया जाता है। जब घर के दरवाजे तक गैस पहुंचती है तो लोग इसका कम ही ख्याल ख्याल रखते हैं कि सिलेंडर में पर्याप्त गैस है भी या नहीं।
इसका मुख्य कारण यह भी है कि एजेंसी के कर्मचारी अपने साथ तौल कांटा लेकर नहीं आते। यदि होता भी है तो वो वाहनों में पड़ा रहता है। बंजारावाला के प्रशांत सिंह ने एक निजी कंपनी से गैस की ऑनलाइन बुकिंग कराई थी। गुरुवार सुबह डिलीवरी ब्वॉय सिलेंडर लेकर घर पहुंचा। प्रशांत ने सिलेंडर उठाकर देखा तो गैस कम होने की आशंका हुई।
उन्होंने डिलीवरी वाले से सिलेंडर तौलने को कहा, लेकिन उसके पास तोल कांटा ही नहीं था। नियमानुसार, तौल कांटा रखना जरूरी है। आरोप लगाया कि सिलेंडर में गैस कम होती है, इसलिए डिलीवरी वाले तौल कांटा साथ नहीं रखते। 1122 रुपये है एक सिलेंडर की कीमत दून में रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 1122 रुपये है। इसका वजन 14.2 किलोग्राम होता है।
यानी एक सिलेंडर में एक किलो गैस की कीमत लगभग 80 रुपये है। यदि सिलेंडर में 500 ग्राम गैस भी कम निकलती है तो उसकी कीमत तकरीबन चालीस रुपये बनती है। ऐसे में यदि दस सिलेंडर से 500 ग्राम गैस निकाली जाए तो इसकी कीमत चार सौ रुपये बनती है। लिहाजा, उपभोक्ताओं के लिए जरूरी है कि वो सिलेंडर तोलकर ही लें।
गैस एजेंसियों की ओर से डिलीवरी देने वालों को सिलेंडर तौलने और जांचने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। लेकिन, यदि कोई लापरवाही बरतता है तो उसके खिलाफ चालान की कार्रवाई की जाती है। उपभोक्ता ऐसे मामलों में आईओसी से शिकायत कर सकते हैं।
चमन लाल, अध्यक्ष-ऑल इंडिया एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन, उत्तराखंड सर्किल