राष्ट्रीय न्यूज़ सर्विस{RNS}
26,04,2023
महाराष्ट्र में क्या चाचा-भतीजे या शरद और अजित पवार ने एक बार फिर भाजपा को चिढ़ाने और नीचा दिखाने का काम किया है? पवार परिवार यह काम पहले अक्टूबर 2019 में कर चुका है, जब अजित पवार ने एनसीपी का समर्थन भाजपा को दिया था और उनके दावे के आधार पर तब के राज्यपाल ने एक दिन तडक़े देवेंद्र फडऩवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। लेकिन चार-पांच दिन में ही फडऩवीस को इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि अजित पवार पीछे हट गए थे। बाद में फडऩवीस ने कहा कि उस समय जो भी हुआ था वह शरद पवार की जानकारी में हुआ था।
तभी सवाल है कि क्या फिर वही कहानी दोहराई गई है? यह भी सवाल है कि जब भाजपा एक बार पवार चाचा-भतीजे से धोखा खा चुके थे तो फिर भरोसा क्यों किया? ध्यान रहे भाजपा के नेता पवार जूनियर का स्वागत करने को तैयार बैठे थे। भाजपा की ओर से यह कहा जाने लगा था कि अजित पवार बड़े और अनुभवी नेता हैं और अगर वे भाजपा के साथ आते हैं तो बहुत अच्छा होगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी अटकलों को खारिज करने की बजाय कहा कि राजनीति में बातचीत चलती रहती है।
ऐसा लग रहा है कि मीडिया और राजनीतिक हलके में मचे चौतरफा हल्ले से भाजपा धोखा खा गई। पिछले कई दिनों से चर्चा थी कि अजित पवार एनसीपी के 40 विधायकों के साथ अलग हो रह हैं और भाजपा को समर्थन देंगे। इस प्रचार का आधार यह बनाया गया कि एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों की सदस्यता सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जा सकती है। ऐसी स्थिति में सरकार बचाए रखने के लिए अतिरिक्त मदद की जरूरत होगी। तभी कहा जा रहा था कि अजित पवार एनसीपी तोड़ कर भाजपा के साथ आ जाएंगे और भाजपा उनको मुख्यमंत्री भी बना सकती है। अगर शिंदे की सदस्यता नहीं जाती है तब अजित पवार उप मुख्यमंत्री बन सकते थे।
लेकिन अब सारा मामला खत्म हो गया है। अजित पवार ने कहा है कि वे जब तक जीवित रहेंगे, तब तक एनसीपी के लिए काम करेंगे। जानकार सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे के साथ मिल कर शरद पवार ने इसकी योजना बनाई थी। उन्होंने भाजपा और शिंदे गुट के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने का मैसेज बनवाया। शिव सेना के कार्यकर्ताओं में यह मैसेज गया कि भाजपा को शिंदे पर भरोसा नहीं है या मौका मिले तो वह शिंदे को अलग करके दूसरे नेता की मदद ले सकती है। इससे शिव सैनिक उद्धव ठाकरे के साथ एकजुट होंगे। दूसरी ओर आम मतदाताओं में भाजपा की परेशानी का मैसेज जाएगा और यह माना जाएगा कि वह सरकार बचाए रखने के लिए किसी की मदद लेने को तैयार है। पवार परिवार का यह खेल इतना परफेक्ट था कि महाराष्ट्र के अनुभवी पत्रकार और राजनीतिक जानकार भी धोखा खा गए थे।