ऋषिकेश, parvatsankalp,07,01,2023
सेंट कैथरीन विश्वविद्यालय, सेंट पाॅल, मिनेसोटा के समग्र स्वास्थ्य और सामाजिक कार्य, परास्नातक के विद्यार्थियों का दल परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश आये। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर भारतीय पारम्परिक ज्ञान, आयुर्वेद और योग के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त की तथा परमार्थ निकेतन गंगा आरती, विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सेंट कैथरीन विश्वविद्यालय, सेंट पाॅल, मिनेसोटा से आये दल को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुये गांधीवादी दृष्टिकोण स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा का महत्त्व समझाते हुये कहा कि गांधीजी के लिये ‘स्वच्छता’ एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक विषय था। दूसरा ‘सार्वभौमिक उत्थान’ ‘सभी की प्रगति’ पर विशेष जोर दिया। वे सर्वोदय के रूप में ऐसी समाज की रचना चाहते थे जिसमें वर्ण, वर्ग, धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर किसी समुदाय का न तो संहार हो और न ही बहिष्कार हो, जो सभी के निर्माण और सभी की शक्ति से सभी के हित में चले, जिसमें ‘सर्वभूतहिते रताः’ सम्पूर्ण मानवता का कल्याण समाहित हो।
इस अवसर पर स्वामी जी ने महात्मा गांधी जी के प्रसिद्ध कथन “पृथ्वी के पास सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन हर किसी के लालच को नहीं” यह कथन दुनिया भर के पर्यावरणीय आंदोलनों के लिये उपयोगी सिद्ध हुआ। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में हमारी प्रकृति और धरती माता को गांधीवादी नजरिये से देखने की जरूरत है क्योंकि इससे ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता हैं।
20वीं शताब्दी के प्रभावशाली व्यक्तित्वों में नेल्सन मंडेला, दलाई लामा, मिखाइल गोर्बाचोव, अल्बर्ट श्वाइत्जर, मदर टेरेसा, मार्टिन लूथर किंग, आंग सान सू की, आदि ऐसे महापुरूष हुये जिन्होंने अपने-अपने देश में महात्मा गांधी जी की विचारधारा का उपयोग किया और अहिंसा को अपना हथियार बनाकर अपने देशों में विलक्षण परिवर्तन लाए। वर्तमान समय में भी एक बार पुनः गांधीवादी दृष्टिकोण और सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता है।
स्वामी जी ने सेंट कैथरीन विश्वविद्यालय, सेंट पाॅल, मिनेसोटा से आये विद्यार्थियों को मिशन लाइफ के 75 सूत्र और ‘प्रो प्लैनेट पीपल’ पारम्परिक भारतीय जीवन शैली को अपनाने का संदेश देते हुये कहा कि जीवन में छोटे-छोटे परिवर्तन कर, स्वस्थ व हरित जीवन पद्धति को स्वीकार करने के साथ ही सभी को रिडयूस, रीयूज, रिसाइकल और सर्कुलर इकोनामी के साथ ईकोलाजी पर विशेष ध्यान देने होगा तभी वर्तमान और भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रखा जा सकता है।