हरिद्वार, parvatsankalp,20,12,2022
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में ‘आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद के अंतर को पाटने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण रखते हुए एक मंच पर चर्चा’ विषय पर आयोजित सम्मेलन के दूसरे दिन स्वामी रामदेव ने कहा कि आज औद्योगिकरण बहुत गलत दिशा में जा रहा है। वर्तमान में सबसे ज्यादा पैसा फार्मा कंपनियों के पास है। दुर्भाग्य से पूरी दुनिया में मेडिकेशन का सोर्स फार्मा कम्पनियों के पास ही है और उनका उद्देश्य कम से कम निवेश के साथ ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना है। जिस तरह मेडिकल व फार्मा इण्डस्ट्री काम कर रही है, उस पर पूरी दुनिया को विचार करना होगा। मनुष्य को स्वयं विवेकी बनना होगा, जिम्मेदार बनना होगा। स्वामी रामदेव ने कहा कि कि एलोपैथ चिकित्सक दवा निर्माण नहीं कर सकता। किन्तु आयुर्वेद में चिकित्सक लगभग एक हजार औषधियाँ बनाने में सक्षम है। यह आयुर्वेद की आत्मनिर्भरता है। उन्होंने कहा कि वे कोई आयुर्वेद के चिकित्सक नहीं बल्कि योगी हैं। लेकिन उन्होंने अपने हाथों से रस, रसायन, भस्म, पिष्टी, चूर्ण, पाक, अवलेह आदि बनाए हैं। चर्चा को ऑनलाईन संबोधित करते हुए आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि यदि हम अपनी संस्कृति, परंपरा और अपनी परंपरागत विद्या को आधुनिक विज्ञान सम्मत स्थापित कर पाते हैं तो देश ही नहीं पूरी दुनिया उसे स्वीकार करने के लिए बाध्य होगी। स्वामी रामदेव के नेतृत्व में आयुर्वेद का वैभव सब के सहयोग के विश्वव्यापी बनेगा।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डा.अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि पतंजलि ने गिलोय, तुलसी, अष्टवर्ग पादप, अश्वगंधा पर आधुनिक पैरामीटर्स के आधार पर अनुसंधान कर तथ्यों के साथ उनके चमत्कारी प्रभावों को दुनिया के सामने रखा है। पतंजलि पहला संस्थान है। जिसने आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन का दर्जा दिलाने की ओर ठोस कदम बढ़ाया है। एआइएमएस भोपाल व एआइएमएस जम्मू के प्रो.वाई. के. गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद बहुत प्राचीन है। यह ऐसा विज्ञान है जिसको हमने भुला दिया था। एलोपैथी का सिस्टम बहुत नया है। लेकिन उसकी भी अपनी खुबियाँ हैं। डिजनरेटिव बीमारियों की बात करें तो उसमें आयुर्वेद का पलड़ा भारी है। लेकिन इमरजेंसी की बात करें तो एलोपैथिक की भी हमें जरूरत पड़ती है। ऐसे में एलोपैथी और आयुर्वेद दोनों को मिलाकर एकीकृत चिकित्सा पद्धति बनाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए। एनआईएमएस विश्वविद्यालय, जयपुर के डायरेक्टर सर्जिकल डिसिप्लिंस प्रोफेसर अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हम स्वामी रामदेव के दिशानिर्देशन में एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। कुछ ठोस कदम उठाते हुए वैज्ञानिक तथ्यों से परिचित होकर आयुर्वेद व एलोपैथ के सम्मिश्रण से एकीकृत चिकित्सा या समग्र चिकित्सा को बढ़ावा देना होगा। महर्षि मार्कण्डेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च मुलाना के प्रोफेसर एण्ड फार्माकोलॉजी हैड प्रो.प्रेम खोसला ने कहा कि पतंजलि ने वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया में वृहद् आयुर्वेदीय ज्ञान को समेटा है। उन्होंने कहा कि समय व काल की कसौटी पर परखी पारम्परिक आयुर्वेदिक औषधियाँ दुष्परिणाम रहित हैं। 21 जून को योग दिवस मनाना दुनिया बदलने वाली बात है। एआइआइएमएस भोपाल के डीन रिसर्च तथा माइक्रोबायोलॉजी के विभाग प्रमुख प्रो.देबासीस बिस्वास ने ‘द आयुर्वेदा विण्डो इन द हाऊस ऑफ मेडिसिन’ विषय पर तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.स्वाति हलदर ने ‘एविडेंस बेस्ड आयुर्वेदिक सॉल्युशन्स फॉर इन्फैक्शियस डिजीज’ विषय पर चर्चा की। बीएचयू, बनारस के रस शास्त्र व भैषज्ञ कल्पना विभाग के सहायक प्राचार्य डा.रोहित शर्मा ने ‘बॉयोलॉजिकल प्लासिबल एण्ड एविडेंस बेस्ड इनसाइट्स ऑन आयुर्वेदिक फार्मास्यूटिकल्स’ तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.कुनाल भट्टाचार्य ने ‘एक्सप्लोरिंग ट्रेडिशनल आयुर्वेदा मेडिसिन फ्राम नैनोमैडिसिन प्रोस्पेक्टिव’ विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंतिम सत्र में पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो.अनिल कुमार ने ‘क्लिनिकल एसस्मेंट ऑफ स्वेर्टिया चिरायता इन पेशंट्स ऑफ डायबिटीज मेलाइटस’, डीन ऑफ पीजी स्टडीज के प्रो.सी.बी. धनराज ने ‘ट्रेडिशनल हर्ब्स फॉर हैल्थ एविडेंस बेस्ड अप्रोच’ तथा द्रव्यगुण विज्ञान विभाग के सहायक प्राचार्य डा.राजेश मिश्र ने ‘डिकोडिंग ट्रेडिशनल मेडिसिनल हैरिटेज ऑफ वर्ल्ड एण्ड अनलिशिंग इट्स वाइटेलिटी’ विषय पर विचार रखे। कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.ऋषभदेव, डी.जी.एम. ऑपरेशन प्रदीप नैन, डा.निखिल मिश्रा, डा.सीमा गुजराल, डा.ज्योतिष श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमावत, संदीप सिन्हा तथा डा.कुणाल भट्टाचार्य का विशेष सहयोग रहा।