ऋषिकेश, parvatsankalp,26,11,2022
एम्स ऋषिकेश में शनिवार को जनजागरूकता कार्यक्रम में दूसरों का जीवन बचाने के लिए 25 लोगों ने स्वेच्छा से अंगदान करने का संकल्प लिया। एम्स के ओपीडी ब्लॉक स्थित एडवांस यूरोलॉजी सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अंगदान के लिए जागरूक करने को विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए। कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि अंग प्रत्यारोपित व्यक्ति के जीवन में अंग दान करने वाला व्यक्ति ईश्वर की भूमिका निभाता है। जरूरत है कि आम लोगों को अंगदान की जरूरत के बारे में विस्तृत तरीके से समझाएं। डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने अंगदान को जीवन का सबसे बड़ा दान बताया। यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने बताया कि जागरूकता कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के 25 लोगों ने अंगदान करने हेतु फार्म भरा है। उनकी इच्छा है कि उनके निधन के बाद उनके अंग जरूरतमंद व्यक्तियों को दान कर दिए जाएं। अंगदान करने वाले व्यक्ति को एचआईवी, कैंसर, डायबिटीज, किडनी और हृदय रोगों से पीड़ित नहीं होना चाहिए। कहा कि अंगदान दो तरह से किया जा सकता है। पहला यह कि जब इंसान का ब्रेन डेड हो जाए लेकिन दिल का धड़कना बंद नहीं हो, ऐसे लोग अपने ऑर्गन डोनेट कर सकते हैं। दूसरा यह कि हेड इंजुरी, स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित वह व्यक्ति जिसका ब्रेन डैमेज हो चुका हो वह भी अंगदान कर सकता है।
कार्यक्रम में नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से रोगियों और उनके तीमारदारों को अंगदान करने के लिए जागरूक किया। मूत्ररोग विभाग, गुर्दा रोग और कॉलेज ऑफ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग डॉ. स्मृति अरोड़ा, यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विकास पंवार, नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. संदीप सैनी, गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. निर्झर राकेश, चीफ नर्सिंग ऑफिसर रीटा शर्मा, डॉ. हर्षित, डॉ. गौतम व नर्सिंग अधिकारियों सहित 150 से अधिक मरीज और उनके तीमारदार मौजूद रहे।