विकासनगर, parvatsankalp,11,06,11
नंतराम नेगी उर्फ गुलदार ये वो नाम है जो जौनसार बावर के इतिहास में आज भी दर्ज है। नंतराम नेगी का जन्म मलेथा गांव में उस समय हुआ जब जौनसार बावर सिरमौर राज्य का अंग हुआ करता था। बचपन से ही साहस और वीरता उनमें कूट-कूट कर भरी हुयी थी। सोमवार को साहिया मंडी गेट पर वीर नंतराम की दस फीट ऊंची अष्टधातु की मूर्ति का अनावरण किया जायेगा। मुगल काल में जब मुगल सेना अपने दुश्मनों को रोंधते हुए बादशाही बाग (सहारनपुर) पहुंची। तब नाहन रियासत के राजा को यह खबर मिली कि मुगल सेना का अगला लक्ष्य नाहन रियासत है। तब नहान रियासत के राजा ने अपने सेनापति व अन्य मुख्य सलाहाकारों को राजदरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। राजा ने मुगल सेना के आक्रमण के बारे में जानकारी दी। इससे निपटने के लिए राजदरबार में कई उपाय राजा के सामने सुझाए गए। तब किसी ने राजा को सिरमौर रियासत के मलेथा गांव के वीर नंतराम नेगी के बारे में बताया। वीर नंतराम नेगी तब सिरमौर रियासत की सेना में एक सैनिक थे। राजा का संदेश पाकर नंतराम नेगी दरबार पहुंचे। राजा ने नंतराम नेगी को मुगल सूबेदार का सर कलम करने पर सिरमौर रियासत की कालसी तहसील में खंचाजी वजीर पद आरक्षित करने की बात कही। नंतराम ने राजा से परामर्श करने के बाद मां काडका (काली) मंदिर में पूजा अर्चना की और पांवटा दून के लिए रवाना हुए। रात के समय नंतराम मुगल सेना ने जहां डेरा डाला था वहां पहुंचे। नेगी ने मुगल सेना के एक सिपाही से सूबेदार के तंबू के बारे में पूछा और उन्हें सन्देश देने की बात कही। उसके बाद नेगी सूबेदार के तंबू के आगे पहुंचे जहां दो प्रहरी पहरा दे रहे थे। नेगी ने दोनों पहरेदारों का गला दबाकर उन्हें खत्म कर दिया।