विकासनगर, parvatsankalp,09,10,2022
जन संघर्ष मोर्चा का कहना है कि डाकपत्थर बैराज हेड रेगुलेटर पुल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संयुक्त यूपी के जमाने में चौबीस घंटे पुलिस पिकेट तैनात की थी। तब भारी वाहनों की आवाजाही पुल पर प्रतिबंधित थी। यहां तक कि तब मोटर, कार, बस और ट्रक आदि के आवागमन का हिसाब रखा जाता था। लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद माफिया, नेताओं और अधिकारियों की सांठगांठ के चलते पुल से पुलिस पिकेट को हटा लिया गया। मोर्चा के मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा उर्फ पिन्नी शर्मा ने बताया कि संयुक्त राज्य यूपी के जमाने में डाकपत्थर पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए तत्कालीन यूपी सरकार ने 29 नंवबर 1989 डाकपत्थर बैराज पुल पर पुलिस पिकेट तैनात की थी। तब से लेकर उत्तराखंड बनने तक यह पिकेट चौबीसों घंटे तैनात रहती थी। जिससे भारी वाहनों की आवाजाही न हो सके। आरोप लगाया कि राज्य गठन के बाद से खनन माफियाओं, नेताओं एवं अधिकारियों की सांठगांठ के चलते वहां से पुलिस पिकेट हटा ली गई। पुलिस के उच्चाधिकारियों की सांठगांठ के चलते इस मामले में शासन तक को गुमराह किया गया। शर्मा ने कहा कि डाकपत्थर बैराज से सुरक्षा हटाने के मामले में न तो गृह विभाग को कोई खबर है और न ही पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड को। सवाल यह उठता है कि क्या माफियाओं के इशारे पर पुलिस सुरक्षा हटाई गई। शर्मा ने कहा कि इस मामले को लेकर मोर्चा ने सूचना आयोग में दस्तक दी। जिस पर गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुए सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने शासन को निर्देश जारी किए कि किसके निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था हटाई गई। साथ ही जवाब मांगा कि यूपी सरकार के नोटिफिकेशन के बाद अगर उत्तराखंड शासन द्वारा कोई समीक्षा या नोटिफिकेशन कर सुरक्षा व्यवस्था हटाने के निर्देश दिए गए हैं तो उस पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के निर्देश दिए।