देहरादून,parvatsankalp,24,09,2022
उत्तराखंड विधानसभा में विवादित 228 नियुक्तियां निरस्त कर दी गई है। इसके साथ ही विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया गया है। उत्तराखंड में किसी भी सरकार का यह अब तक का पहला ऐतिहासिक फैसला है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के इस फैसले ने धामी सरकार को नई ऊंचाईयां दी है। यह कार्रवाई जांच समिति की रिपोर्ट पर की गई।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने शुक्रवार को समिति की जांच रिपोर्ट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 480 में से 228 नियुक्तियां रद कर दी हैं। उन्होंने सचिव मुकेश सिंंघल को भी निलंबित कर दिया है।
इसके साथ ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल की भूमिका की जांच की जाएगी। वहीं 2012 से पहले हुई नियुक्ति पर विधिक जांच ली जा रही है । उन्होंने बताया कि समिति ने काबिले तारीफ कार्य किया।
बता दें कि समिति ने विस अध्यक्ष को नियुक्तियां रद करने का प्रस्ताव सौंपा है। समिति द्वारा नियमों के खिलाफ हुई नियुक्तियों को निरस्त करने की सिफरिश गई है।
गुरुवार देर रात जांच समिति द्वारा रिपोर्ट सौंप दी।
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि वह दो दिन के अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के भ्रमण कार्यक्रम पर थीं। गुरुवार देर रात देहरादून उनके शासकीय आवास पर पहुंचने पर जांच समिति द्वारा उन्हें रिपोर्ट सौंप दी गई।
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि जांच रिपोर्ट सौंपने के दौरान जांच समिति के अध्यक्ष डीके कोटिया, एसएस रावत व अवनेंद्र सिंह नयाल मौजूद रहे।
विधानसभा में 228 नियुक्तियों को विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने किया रद्द जांच रिपोर्ट में 2016 और 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियों में अनियमितताए पाई गई।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा युवाओं को नहीं होना चाहिए निराश अनियमितताओं पर कार्यवाही के लिए कठोर रहेगी। जांच समिति ने रिपोर्ट सौंप दी है, 20 दिन में जांच रिपोर्ट पूरी की। विधानसभा के कर्मियों ने पूरा सहयोग जांच में दिया।
214 पेज की है जांच रिपोर्ट
जांच रिपोर्ट में 2016 ओर 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां हुई थी, उसमें अनियमितताएं हुई है। जांच समिति ने इन नियुक्तियों को निरस्त करने की मांग की। नियुक्तियों के लिए न विज्ञप्ति निकली, परीक्षा भी आयोजित नही हुई, सेवा योजना कार्यालय से भी डिटेल नही मांगी गई।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा वर्ष 2016 तक 150 नियुक्तियां, 2020 में 6 नियुक्तियां, 2021 में 72 नियुक्तियां को निरस्त करने के लिए शासन को अनुमोदन किया है।
शासन का अनुमोदन आने के बाद इन नियुक्तियों को निरस्त किये जाने का निर्णय भी लिया जा सकता है। विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। वर्ष 2011 से पहले की नियुक्तियां रेगुलर है, उस पर भी लीगल राय ली जाएगी,
वर्ष 2012 से लेकर 2021 तक की नियुक्तियां तदर्थ थी, जिसमे शासन ने नियुक्तियों की आज्ञा दी थी, इसलिए शासन को अनुमोदन के लिए भेजा है।