Parvatsankalp,08,07,2022
उत्तराखण्ड में सरकारी महकमे किस कदर काम करते हैं इसका जीता जागता उदाहरण यहां वन विभाग की मल्हान रेंज में देखने को मिला, यहां लाखों रूपये कीमत का काले चंदन का पेड़ वन तस्कर विभागीय कर्मचारियों के रहते हुए काट कर ले गये। इस पूरे प्रकरण का खुलासा कर रहे हैं हमारे संवाददाता:-
वन विभाग की मलहान रेंज में चंदन का पेड़ कटना कोई नयी बात नहीं है लेकिन नयी बात ये है कि वन विभाग के कर्मचारी पेड़ की रखवाली के लिए तैनात रहे और वन तस्कर उनकी ही आंखों से काजल चुराने की कवाहत को चरितार्थ कर चंदन का पेड़ काट ले गये। हालांकि मामला जनवरी माह का है लेकिन पांच महीने तक विभागीय कर्मचारी कर चोरी पर पर्दा डालने की कोशिश में लगे रहे लेकिन पर्दा आखिर उठ ही गया। यहां वनविभाग के रेंज कार्यालय परिसर में काले चदन का एक पेड़ वन विभाग की ओर से लगाया था, यह पेड़ विभागीय कार्यालय के सामने ही लगा था और इसकी रखवाली के लिए यहां बाकायदा कर्मचारियों की एक पूरी फौज तैनात रहती है। इसके बावजूद वन तस्कर इस पेड़ को काट कर ले गये। यह पहली बार नहीं हुआ जनवरी से पहले भी यही पेड़ तस्करों का शिकार हो चुका है। पहली बार जब पेड़ कटा तो वन विभाग ने इस चोरी का खुलासा तक किया और तथा कथित वन तस्करों को जेल भी भेजा, इसके बाद यह पेड फिर से पनपा और नया पेड़ बन गया। इस नये पेड़ की रखवाली के लिए विभाग की और से कम्रचारियों की तैनाती गयी और इसकी सुरक्षा के लिए इस पर चौबीसों घंटे निगबानी की जाने लगी। जैसे जैसे ये पेड़ बढ़ता चला गया विभागीय अधिकारी व कर्मचारी इस पेड़ की देखरेख में जी जान से जुट गये। लेकिन आखिर एक दिन ऐसा आया कि चोर सबकी आंखों में धूल झोंक कर इसे चुरा ले गये। जब अधिकारियों को इसकी जानकारी हुयी तो पूरे मामले को पर्दे से ढांकने की कोशिश शुरू कर दी गयी। हालांकि इस पूरे मामले की रिपोर्ट भी की गयी लेकिन सबकुछ लीपापोती ही रहा। न तो छह माह बाद भी तस्कर ही पकड़े गये और न ही काला चंदन का पेड़ बरामद हो सका। हालांकि विभागीय अधिकारियों का दावा है कि इसको जल्द ही बरामद कर लिया जाएगा।
क्या कहते हैं अधिकारी:-
इस पूरे मामले में यूं तो कोई भी अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है लेकिन कुछ अधिकारी दबी जुबान से कहानी सुनाते हैं कि जिस दिन पेड़ काटा गया उस दिन भारी बारिस हो रही थी, अचानक आसमान में बिजली चमक रही थी इस कारण पूरे इलाके की बत्ती गुल थी। इस खौफनाक मंजर के कारण पेड़ की सुरक्षा में लगे कर्मचारी कार्यालय के बरामदे में शरण ले रहे थे। चारों ओर घुप्प अंधेरा होने के कारण कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, इसी बीच हवा चलने लगी और पूरा माहौल काफी डरावना हो गया। लगभग दो घण्टे तक दहशत का माहौल रहा। दो घंटे के बाद मौसम शांत हुआ,बिजली आयी और बत्ती जल गयी, जब पेड़ की सुरक्षा में लगे कर्मचारी वापस आये तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गयी। बेसकीमती चंदन का पेड़ गायब था। वहां बचा तो सिर्फ चंदन के पेड़ का ठूंठ। इस घटना के बाद पूरे महकमे में हड़कम्प मच गया। आनन फानन में इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी गयी। मामले की रिपोर्ट दर्ज करा दी गयी लेकिन किसी को भी अभी तक पकड़ा नहीं जा सका। सोचने वाली बात ये है कि वनविभाग के कार्यालय परिसर से इतना बेसकीमती पेड़ चोरी हो कैसे गया, क्या वन तस्करों को पता था कि घटना वाले दिन बिजली जाने वाली है तूफान आने वाला है, बारिस होने वाली है, और इसी समय यह पेड़ काट कर ले जाना है वह भी विभागीय कर्मचारियों की नाक के नीचे से, ऐेसे कई प्रश्न हैं जिनका उत्तर खुद वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास नहीं है।