केलांग ,लाहौल-स्पीति,parvatsnkalp,02,07,2022
देश के सबसे ऊंचे दर्रों में शुमार शिंकुला दर्रा होकर अब सेना के भारी वाहनों की आवाजाही होगी। मनाली-दारचा-शिंकुला-कारगिल मार्ग पर पहली बार भारी वाहनों की आवाजाही शुरू कर सीमा सड़क संगठन ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। समुद्रतल से 16580 फीट ऊंचे शिंकुला दर्रा होकर भारी वाहनों की आवाजाही शुरू होने से अब सेना का काफिला भी इस रूट से सरहद की तरफ जा सकेगा। सेना के वाहनों को कारगिल पहुंचने के लिए अब मनाली-लेह मार्ग होकर चार दर्रों को पार नहीं करना पड़ेगा।
शिंकुला होकर सेना को कारगिल तक पहुंचने में अब लगभग 200 किलोमीटर कम सफर करना पड़ेगा। वहीं, मनाली-लेह-कारगिल मार्ग की तुलना में अब करीब 10 घंटे कम समय लगेगा। योजक परियोजना के मुख्य अभियंता जितेंद्र प्रसाद ने शुक्रवार को ऑफिसर कमांडिंग 126 आरसीसी के मेजर अरविंद के साथ शिंकुला दर्रा होकर भारी वाहनों के काफिले को झंडी दिखाकर रवाना किया। दारचा-पदुम-कारगिल से अब सेना के भारी वाहन दौड़ने से सीमा पर तैनात भारतीय सेना को और मजबूती मिलेगी। शिंकुला होकर बड़े वाहनों की आवाजाही शुरू होने से लद्दाख के जांस्कर की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा सकारात्मक सुधार होगा।
योजक परियोजना के मुख्य अभियंता जितेंद्र प्रसाद ने शिंकुला दर्रा में चल रहे कार्य और प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि पर्यटकों की आमद को बढ़ाने के लिए शिंकुला दर्रा के नीचे टनल का निर्माण जल्द शुरू होगा। सैलानियों की सुविधा के लिए दर्रा के समीप बीआरओ कैफे का निर्माण करने जा रहा है। कहा कि जांस्कर के लोगों की मांग पर शिंकुला दर्रा में स्तूप का निर्माण किया जाएगा। मुख्य अभियंता ने 126 आरसीसी की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। कहा कि 126 आरसीसी ने 16580 फुट की ऊंचाई पर ठंड और कठोर मौसम के बीच दिन में कई घंटों तक काम किया। दो दिवसीय निरीक्षण दौरे के दौरान जितेंद्र प्रसाद ने दारचा से निम्मू होते हुए पदुम तक सड़क का निरीक्षण किया है।