मनोरंजन

गजल – रीतू गुलाटी

टूट गये शजर से सहारा कौन दे?

दूर निकल गये, आसरा कौन दे?

 

वक्त रहते न सम्भाला खुद को।

मुफलिसी में न मिले, दुआ कौन दे?

 

जिंदगी भटकने जब लगी अदब से।

रास्ते अदब के,मशविरा कौन दे?

 

घुट रहा बिखरते ख्याब को देख के।

रास्ते  से  हमे अब उठा कौन दे ?

 

कद्र जो दिल से करते नही,ऋतु।

हाथ अपना बढा हौसला कौन दे।

– रीतू गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली

Related posts

भीमराव अंबेडकर – सुषमा वीरेंद्र खरे

admin

हिंदी ग़ज़ल – जसवीर सिंह हलधर

admin

पर्यावरण और वन – शिव नारायण त्रिपाठी

admin

Leave a Comment